In-Depth Explanation: Lakshmi Chapter for Class 10 Hindi Students | लक्ष्मी पाठ का स्पष्टीकरण कक्षा १० वीं
लक्ष्मी पाठ का स्पष्टीकरण | Lakshami Chapter Explanation
नमस्ते पाठकों,आज हम कक्षा १० वीं लक्ष्मी पाठ [ 2. Lakshmi Chapter Class 10 | Explanation ] का अध्ययन करेंगे । लक्ष्मी इस पाठ में लक्ष्मी एक गाय का नाम है । यह गाय ज्ञान सिंह की है । अब आप को ऐसा लगेगा की लक्ष्मी यह पाठ ज्ञान सिंह और लक्ष्मी पर आधारीत है, तो ऐसा नहीं है । यह पाठ लक्ष्मी, करामत अली और करामत अली के परीवार पर आधारित है । करामत अली के परिवार में उसकी पत्नी रमजानी और बेटा रहमान है ।
लक्ष्मी यह गाय ज्ञानसिंह की है परंतु यह पाठ लक्ष्मी, करामत अली और उसके परीवार पर आधारित कैसे ? लक्ष्मी इस पाठ की कहानी क्या है? हमें इस पाठ से क्या सिखाया जा रहा है ? यह जानने के लिए आइए इस पाठ का अध्ययन करते हैं ।
परिछेद क्रमांक: १. उस दिन .... प्रयास करती ।
शब्दार्थ / अर्थ:
- खूंटा - मेेख ( पशु बाँधने के लिए जमीन में गाड़ी गई लकड़ी / लोहा
मुहावरा:
- तैश में आना - क्रोधित / गुस्सा होना
स्पष्टीकरण:
इस परिच्छेद से हमें क्या पता चला ? हमें यह पता चला की लक्ष्मी को मारा गया है । मारने वाले का नाम और मारने का कारण इस परिच्छेद में नहीं है । गाय की भाषा हम समझ नहीं सकते है, परंतु लक्ष्मी जिस तरह का बर्ताव कर रही है उससे यही पता चल रहा है की उसे जो चोट लगी है, उसकी पीड़ा उसे बहुत ज्यादा हो रही है ।
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परिछेद क्रमांक: २. करामात अली .... दूध नहीं दिया ।
शब्दार्थ / अर्थ:
- बथान: पशु बाँधने की जगह
- रोगन: दवा मिलाया हुआ तेल
स्पष्टीकरण:
इन परिच्छेदों से हमें क्या समझ आया ? हमें लक्ष्मी को मारने वाले का नाम पता चला और मारने का कारण पता चला । लक्ष्मी को मारने वाला कौन था ? तो वह करामात अली का बेटा रहमान था । और मारने का कारण क्या था ? क्योंकि लक्ष्मी ने आज भी दूध नहीं दिया था ।
परिछेद क्रमांक: ३. तो उसकी सजा .... आखिरी बरस है ।
स्पष्टीकरण:
इस परिच्छेद में हमें लक्ष्मी दूध क्यों नहीं दे पा रही थी इसका कारण पता चला । कारण है लक्ष्मी बूढ़ा गई है अर्थात बूढ़ी हो गई । यहाँ पर डेयरी फार्म के डॉक्टर दवारा कहा गया एक वाक्य भी है । वाक्य है- "डेयरी फार्म के डॉक्टर ने तो पिछली बार ही कह दिया था यह लक्ष्मी का आखिरी बरस है ।" अब लक्ष्मी का आखिरी बरस मतलब ? इसके दो अर्थ हो सकते है । पहला अर्थ हो सकता है- 'लक्ष्मी का दूध देने का अखिरी बरस' और दूसरा अर्थ हो सकता है ' लक्ष्मी के जिने का आखिरी बरस' अगर डॉक्टर द्वारा कहे गए वाक्य का अर्थ लक्ष्मी के जिने का आखिरी बरस है, तो इस हिसाब से लक्ष्मी को मारने के कारण होंगे- लक्ष्मी का दूध न दे पाना । लक्ष्मी का बूढ़ा हो जाना और डॉक्टर के कहने के बावजूद भी बूढ़ी लक्ष्मी का न मरना । या जीवित रहना ।
परिछेद क्रमांक: ४. लक्ष्मी शांत .... छोड़ रखी थी ।
शब्दार्थ / अर्थ:
- अधेड़ उम्र - ढलती उम्र
- दर्रा - अनाज का अंश
स्पष्टीकरण:
इस परिच्छेद से हमें लक्ष्मी किसकी गाय थी और वह करामत अली के पास कैसे आई यह पता चल रहा है । लक्ष्मी किसकी गाय थी ? तो लक्ष्मी ज्ञान सिंह की गाय थी । नौकरी से अवकाश के बाद अर्थात नौकरी से Reitrement के बाद वह लक्ष्मी को अपने साथ रख नहीं सकते थे और ना उन्हे लक्ष्मी को बेचना था । इस कारण ज्ञानसिंह ने यह गाय करामत अली को दे दी।
इस परिच्छेद में ज्ञान सिंह संबंधी बहुत सी जानकारी दी गई है । जैसे- वह करामत अली के सहकर्मी थे, मित्र थे, पड़ोसी थे, सहकर्मी थे । दोनो एक साथ ड्यूटी पर जाते और आते भी थे । लक्ष्मी के माध्यम से कुछ पैसे कमाए जाए यह सोचकर उन्होंने लक्ष्मी को नहीं खरीदा था बल्की उन्हें पशु पालन का शौक था इसलिए उन्होंने लक्ष्मी को खरीदा था ।
परिछेद क्रमांक: ५. करामात अली को .... पड़ सकता है ।
स्पष्टीकरण:
इन्ह परिच्छेदों में करामताली और रमजानी के बीच संवाद है । उन्ह संवादों से हम समझ सकते है कि किसी की वृद्ध अवस्था अर्थात किसी का बूढ़ापा किसी और पर किस तरह से श्राप बन जाता है । अगर लक्ष्मी बुढ़ी न होती, अगर वह दूध दे पाती या खेती के अन्य कामों में उसका उपयोग हो पाता तो इस लक्ष्मी का क्या करें यह सवाल उत्पन्न ही नहीं होता ।
हम कह सकते है कि जिस तरह से बुढापा श्राप होता है उसी तरह से गरिबी भी श्राप ही है । रहमान ने लक्ष्मी को मारा था परंतु करामत डाली अस्वस्थ था, वह गाय को रोगन लगा रहा था, फिर भी उसे इत्मीनान न था, वह गाय के सर पर हाथ फेर रहा था अर्थात करामत अली में इंसानियत थी परंतु वह गरीब था । अगर वह गरीब न होता तो इस बूढ़ी लक्ष्मी का क्या करे यह सवाल पैदा होने देता ही नहीं ।
इन परिच्छेदों में आए हुए संवादों से हम यह कह सकते हैं कि इंसानियत होने के बावजूद भी आर्थिक परिस्थिति के कारण करामत अली भी इस बुढ़ी लक्ष्मी का क्या करे यह सोचने के लिए मजबूर है ।
परिछेद क्रमांक: ६. उसके साथी .... जुट गया ।
स्पष्टीकरण:
इस परिच्छेद में करामत अली के मित्र द्वारा उसे एक उपाय बताया गया है । वह उपाय सुनकर करामत अली अपने मित्र से दूर हटकर् बैठ गया । उपाय क्या था ? तो बुढी लक्ष्मी को बेच देने का उपाय था । और दूर हट कर बैठना मतलब | लक्ष्मी को बेचने की बात करामत अली को पसंद नहीं आई ।
परिछेद क्रमांक: ७. करामात अली रात का .... स्वर में बोली ।
परिछेद क्रमांक ७ | MrSuryawanshi.Com |
शब्दार्थ / अर्थ:
- पुआल - फसल के सूखे डंठल
- खली - तैलिय पदार्थ की तलछट
- दर्रा - अनाज के अंश
- सानी - मिश्रण
मुहावरा:
- मुंह मारना - जल्दी - जल्दी खाना
स्पष्टीकरण:
इन्ह परिच्छेदों में हमें बूढ़ी लक्ष्मी किस तरह से करामत अली के परिवार पर बोझ बन बैठी है यह पता चल रहा है । हमें यह भी पता चल रहा है की पहले लक्ष्मी खुद अपना खर्चा उठाती थी । अर्थात लक्ष्मी दूध देती थी, उसका दूध बेचा जाता था, जो पैसा मिलता था उससे लक्ष्मी का चारा आता था । परंतु अब करामत उसी का परिवार जो पैसा अपना पेट भरने के लिए रख रहा है लक्ष्मी वह पैसा खा रही है । हम कह सकते हैं कि लक्ष्मी का बुढ़ाण करामत अली के परिवार पर बोझ बन बैठा है ।
परिछेद क्रमांक: ८. तुम इसे .... सुनती रही ।
शब्दार्थ / अर्थ:
- झंखाड़ - कूड़ा - कचरा कांटेदार एव अन्य घने पौधे
- दूब - दूर्वा, एक घास
- आगंतुक - आया हुआ / अचानक आजाने वाला
- काँजी हाउस - पशु शाला
स्पष्टीकरण:
इन परिच्छेदों में हमें लक्ष्मी को लेकर परीवार का एक उपाय पता चला और वह उपाय क्यों नाकाम हुआ यह पता चला ।
परीवार लक्ष्मी को चराने के लिए लेकर नहीं गया था, तो वे लक्ष्मी को छोड़ना चाहते थे । कहाँ छोड़ना चाहते थे ? तो नाले के करीब जहाँ झाड-झंखाड़ है, जहाँ दूब है । मतलब लक्ष्मी को नाले के करीब जो मिलेगा वह वो खाएगी और नाले के आस-पास ही रहेगी । पशुओं को चराना मतलब पशुओं को पेट भर के खाना खिलाना और वापस घर लाना । परंतु करामत अली का परीवार बूढ़ी लक्ष्मी को चराने के लिए नहीं बल्कि नाले के पास छोड़ने गया था । परंतु उन्हका यह उपाय कारगर नहीं रहा ।
परिछेद क्रमांक: ९. दोपहर बाद .... कोसों दूर थी ।
शब्दार्थ / अर्थ:
- फाँकने को - खाने को / खिलाने को
मुहावरा:
- कोरा जवाब देना - साफ मना करना ।
स्पष्टीकरण:
इन्ह परिच्छेदों में हमें लक्ष्मी को लेकर और एक उपाय पता चला और वह उपाय करामत अली की वजह से नाकाम हुआ यह पता चला ।
उपाय था लक्ष्मी को बेचने का । परंतु जो व्यक्ति लक्ष्मी को खरीदने आया था वह व्यक्ति पशुओं का व्यापारी था । वह गाय के तुकडे - तूकडे करके कही और बेच देता । इसीलिए करामत अलीने उस व्यक्ति को गाय नहीं बेची
गाय बुढी है, दूध नहीं दे रही है । करामत अली को उसके तुकडे - तुकडे नहीं होने देना है । अब इस बूढी लक्ष्मी का क्या होगा ? यह जानने के लिए हम अगला परिच्छेद पढ़ते हैं ।
परिछेद क्रमांक: १०. रात काफी .... बढ़ने लगी ।
स्पष्टीकरण:
अंत में करामत अली ने लक्ष्मी के साथ क्या किया ? लक्ष्मी को गऊशाला में भरती करा आया । चाहता तो करामात अली बूढ़ी लक्ष्मी को बेचकर कुछ पैसे कमा लेता । आज कल तो लोग कुछ पैसों के लालच में अपने रिश्तों का खून, देते है । इन्सान इन्सान को मारता है । यहाँ पर तो 'लक्ष्मी एक जानवर थी । करामत अली चाहता तो गाय को काटकर खुद भी खाता और कुछ दिनों तक अपने परिवार वालों का पेट भी भरता । परंतु करामत अली ने न गाय काटी न बेची । जब तक वह गाय संभाल सकता था तब तक उसने संभाली और जब उसे लगा की वह अब गाय और नहीं संभाल पाएगा तब उसने गाय को गऊशाला में भरती किया ।
निष्कर्ष:
यह पाठ हम इंसानों को इंसानियत सिखा रही है ।
जब कभी भी आप किसी पशु को पालने के विषय में सोचो तब सबसे पहले । अपने आपसे एक सवाल करना आज जो प्रेम उस पशु पर है, जब वह पशु बुढा हो जाएगा तभी भी आज जैसा ही प्रेम बरकरार रहेगा ? अगर उत्तर हाँ में आता है तभी ही पशु पालो अन्यथा मन में कपट और माथे पर Animal's Lover का Tag लगाकर मत घूमों ।
पढ़ाने हेतु:
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