Beti Yug Ka Swadhyay | Beti Parva | Shikshamay Vishva | बेटी पर्व | बेटी य
बेटी युग कविता का स्वाध्याय के अंतर्गत पूछा गया प्रश्न ' बेटी पर्व की जानकारी लिखो ' और ' शिक्षामय विश्व की जानकारी लिखो ' के लिए एक उदाहरण उत्तर यहाँ दिया गया है । दिए गए उत्तरों को पढ़ कर आप स्वयं उत्तर बनाने का प्रयास कर सकते हैं
बेटी युग | Beti Yug | Class 7
जानकारी लिखो ।
बेटी पर्व | Beti Parv
उत्तर: बेटी पर्व (पर्व अर्थात त्यौहार / Festival) :
बेटी पर्व ऐसा कोई पर्व नहीं होता । बेटी पर्व से कवि के कहने का यह तात्पर्य है कि बेटा - बेटी में जो भेद किया जाता है, वह समाप्त होना चाहिए । आज भी बेटे को अधिक महत्त्व दिया जाता है, बेटा होने की कामना की जाती है, बेटे को अच्छी शिक्षा दी जाती है । बेटियों को पराया धन समझा जाता है, उनकी शिक्षा को अधिक महत्व न देकर बस रोटी - चौका तक ही उन्हें सीमित रखा जाता है । ऐसी अर्ध पढ़ी-लिखी बिटिया शादी के पहले अपने पिता पर और शादी के बाद अपने पति पर निर्भर होती है । मानने के लिए तो हम बेटी को देवी भी मानते है परंतु बेटी को भी बेटे के समान माना जाना चाहिए । जितना लाड, प्यार, सम्मान बेटे को मिलता है उतना ही बेटी को भी मिलना चाहिए ।
पिता अपने बेटे की तरह अपनी बेटी को भी इतना पढ़ाए-लिखाए कि वह भी बेटे की तरह आत्मनिर्भर बने । इसी बदलाव को बेटी पर्व ( बेटी युग, बेटियों का समय ) माना जाएगा ।
शिक्षामय विश्व | Shikshamay Vishva
उत्तर: शिक्षामय विश्व का अर्थ है पूरा विश्व शिक्षा से भरा हो । अर्थात विश्व में ऐसा कोई नहीं हो जो अनपढ़ हो । सभी को पढ़ना - लिखना आना चाहिए । जब विश्व शिक्षामय होगा तब कही भी अज्ञान, अंधश्रद्धा, कर्मकांड, पाखंड नहीं होगा। लोग एक दूसरे की भावनाओं की, मान्यताओं की इज्जत करेंगे । सभी शिक्षित व्यक्ति मिलकर सिर्फ मानवमात्र के लिए ही नहीं समस्त धरतीवासियों के लिए एक बेहतर विश्व बना देंगे ।
स्त्री शिक्षा का इन पर क्या प्रभाव पड़ता है, लिखो: स्वयं, परिवार, समाज, देश | Stri Shiksha Ka Enpar Kya Prabhav Padta Hai Likho Swayn Parivar Samaj Desh | Beti Yug
नमस्ते पाठकों,
स्त्री अगर शिक्षित होगी तो उसका प्रभाव स्वयं, परिवार, समाज और देश पर क्या होगा, इस विषय पर हमारे विचार बताने के लिए हमने यह छोटा - सा ब्लॉग बनाया है । इस विषय पर आप अपने विचार लिखने के लिए अपने आपसे ही सवाल कीजिए क्या किसी महिला की अशिक्षा की वजह से आप को कभी दया आई हो ? ( जैसे: बस स्थानक पर बस के लिए परेशान होती हुई, आप से बार - बार यह बस कहाँ जाएगी वह बस कहाँ जाएगी पूछती हुई, बस आने पर बताने की विनती करती हुई, गलत बस के पीछे भागती हुई कोई महिला या अनपढ़ता की वजह से उसे ठग लिया हो और उसे पता ही न चला हो ऐसी महिला को देखकर ) उस वक्त आपने यह सोचा हो की काश ! यह पढ़ी - लिखी होती तो... । स्त्रियों पर दया करने की नहीं बल्कि उन्हें शिक्षित करने की जरूरत है । बेटा - बेटी में भेदभाव न कर, बेटों जितनी ही समान शिक्षा बेटियों को भी मिलनी चाहिए । याद रखिए मदद के लिए हात फैलाने वाले पर दया कर आज कुछ देंगे तो दूसरे दिन वह किसी और के सामने हात फैलाएगा । कोशिश यह होनी चाहिए की वह हात फैलाने वाला कभी किसी के सामने हात ही न फैलाए, आत्मनिर्भर बने । कन्यादान से पहले माता - पिता अपनी बेटी पर शिक्षादान जरूर करें ।
Beti Yug | Stri Shikshak Ka Prabhav |
Stri Shiksha Ka Enpar Kya Prabhav Padta Hai Likho Swayn Parivar Samaj Desh | स्त्री शिक्षा का इनपर क्या प्रभाव पड़ता है लिखो स्वयं परिवार समाज देश
उत्तर: कहा जाता है कि एक रोटी कम खाना परंतु अपने बच्चों को शिक्षित जरूर करना । शिक्षा सब के लिए अनिवार्य है । चाहे वह नर है या नारी । परंतु भारत में स्त्री शिक्षा के प्रति आज भी उदासीनता नजर आती है । जिस कारण अशिक्षित स्त्रियाँ पाखंड और अंधश्रद्धा के चंगुल में फस जाती है । ठगों का, ढोंगी बाबाओं का आसान शिकार बन जाती है । रीति - रिवाज, रूढ़ी - परंपरा के नाम पर एक तरह से स्त्रियों के हाथों में अदृश्य बेडियाँ डाली गई है । अपनी अज्ञानता के कारण ही वह यह सब हसी - खुशी स्वीकार कर रही है । शिक्षा प्राप्ति से मस्तिष्क का विकास होता है । जब स्त्री शिक्षित होगी तब वह अपने ऊपर सदियों से हो रहे अन्याय, अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाएगी ।
डॉ. अंबेडकर जी का एक कथन है ' शिक्षा शेरनी का दूध है, जो पिएगा वह दहाड़ेगा । ' दहाड़ना का अर्थ चीखना, चिल्लाना नहीं । शिक्षित स्त्री दहाड़ेगी मतलब तार्किक सवाल पूछना सीख जाएगी । तार्किक सवाल अर्थात माथा मेरा बिंदी पति देव आपके नाम की, सर मेरा सिंदूर पति देव आपके नाम का, गला मेरा मंगलसूत्र पति देव आपके नाम का, बच्चे को नौ महीने मैं कोख में रखती हूँ परंतु बचे के नाम के आगे पति देव आपका नाम लगता है । ऐसा क्यों ? और मेरे नाम का आप क्या करते हैं ?
सावित्रीबाई फुले जी ने स्त्रियों को शिक्षित करने के लिए स्त्री शिक्षा विरोधी लोगों से अपशब्द सुने, उन्ह के द्वारा फेंके गए किचड़ों की, गोबरों की, पत्थरों की चोट सही परंतु स्त्रियों को शिक्षित करने का कार्य नहीं त्यागा । उसी तरह आज की शिक्षित स्त्रियाँ न सिर्फ स्वयं सुधरेगी वह अपने साथ - साथ अपने परिवार और समाज का भी उद्धार करेगी । सदियों से कर्मकांड, अंधश्रद्धा, पाखंड के जाल में फसे अपने परिवार और समाज को वह वैज्ञानिक रास्ता बताएगी ।
जिस देश की सभी स्त्रियाँ शिक्षित होंगी उस देश से लैंगिक असमानता जड़ से समाप्त हो जाएगी । स्त्री - पुरुष के शैक्षिक समानता का देश अन्य देशों के लिए एक उदहारण बन जाएगा ।
पढ़ने हेतु:
• Blog: Mrsuryawanshi.com
• YouTube: Mr. Suryawanshi
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें