Yadi Prakrutik Sansadhan Samapt Ho Jaye To Jaise Jal Van Aadi | यदि प्राकृतिक संसाधन समाप्त हो जाएँ तो जैसे जल वन आदि

पाठ ३. दादी माँ का परिवार इस पाठ पर पूछे गए प्रश्नों में से एक प्रश्न ' यदि प्राकृतिक संसाधन समाप्त हो जाएँ तो.... जैसे - जल, वन आदि | ' पर दो उदाहरण उत्तर यहाँ दिए गए हैं | दिए गए उत्तरों को पढ़ कर आप स्वयं का उत्तर बनाने का प्रयास कर सकते हैं | Maharashtra Board Solutions For Class 7 


Yadi Prakrutik Sansadhan Samapt Ho Jaye To Jaise Jal Van Aadi | यदि प्राकृतिक संसाधन समाप्त हो जाएँ तो जैसे जल वन आदि


यदि प्राकृतिक संसाधन समाप्त हो जाएँ तो.... जैसे - जल, वन आदि | Yadi Prakrutik Sansadhan Samapt Ho Jaye To Jaise Jal Van Aadi | Dadi Maa Ka Parivar Swadhyay 


उत्तर:


१) मनुष्य को बहुत सारी चीजें प्रकृति के द्वारा उपहार में मिली है । जैसे - जल और वन ।


पानी से हमारी प्यास बुझती है, बदन की बदबू मिटती है, कपड़ों को, गाड़ियों को धोया जाता है, हमारे रोज के जरूरी काम पूर्ण होते है । वनो के द्वारा हमें शुद्ध हवा मिलती है, भोजन मिलता है । सिर्फ मनुष्य ही नहीं, तो पृथ्वी पर रहने वाले प्राणी अनेक जीव-जंतु भी इन्ही प्रकृति के उपहार पर जिंदा है । 


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यदि यही प्राकृतिक संसाधन समाप्त हो जाएँ तो पानी की एक-एक बुंद के लिए, शुद्ध हवा के लिए लाखो-करोड़ों रुपए खर्च किए जाएंगे । जमीन को जितना भी खोदा जाएगा धूल, मिट्टी, पत्थर ही मिलेगा; परंतु पानी नसीब नहीं होगा । गरीब तड़प-तड़प कर मरेगा । जब लाखो-करोड़ों की वह एक बूंद भी समाप्त हो जाएगी; तो अमीर और गरीब का भेद भी मिट जाएगा । जो हश्र गरीब का हुआ था, वही हश्र अमीर का भी होगा । धरती नामक यह स्वर्ग नर्क में बदल जाएगा । जो धरती प्राकृतिक संसाधनों से सजी हुई थी; वही धरती पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों और मनुष्यों के लाशों से सज जाएगी ।


इसीलिए जो चीजें मुफ्त में मिली है उसका सम्मान करना सीखिए ।


२) प्रकृति हमें बहुत सारी चीजें मुफ्त में देती है । जिसका उपयोग हमें दैनंदिन जीवन में होता है । या यूं कहे कि प्रकृति के कारण ही हम जिंदा है । परंतु मुफ्त में मिली चीजों का अधिकतर लोग सम्मान नहीं करते । अपने स्वार्थ के लिए वह प्रकृति को हानि पहुँचाते है । जैसे- घर बनाने के लिए, बिल्डिंग बनाने के लिए जंगलो का सफाया किया जा रहा है । नालों का पानी, कूड़ा-कचरा नदियों में फेंका जाता है । एक दिन ऐसा आएगा, ना हमें पीने का स्वच्छ पानी मिलेगा ना स्वच्छ हवा । धरती का सबसे बुद्धिमान प्राणी मनुष्य अपनी मूर्खता के कारण अपना तो नुकसान कर ही रहा है, अपने साथ-साथ जंगलों में रहने वाले जानवर और समुद्र के जीव-जंतु का भी नुकसान कर रहा है । अगर प्राकृतिक संसाधन समाप्त हो गए तो धरती नामक यह स्वर्ग नर्क से भी बद्तर हो जाएगा ।


पढ़ने हेतु:


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