26 January | Republic Day Speech Hindi | Ganatantra Diwas Bhashan
गणतंत्र दिवस - भाषण | Republic Day - Speech | 26 January
नमस्ते,
मेरा नाम रोहिणी है । यहाँ पर उपस्थित आदरणीय गण और मेरे स्नेही सहपाठियों को गणतंत्र दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं । आज हम हमारे ७५ वें गणतंत्र दिवस को मनाने हेतु यहाँ एकत्रित हुए है । गणतंत्र दिवस मनाने से पूर्व मेरा एक सवाल है । क्या मैं आप से पूछ सकती हूँ ? जी हाँ, आप । आपका नाम क्या है ?
अंजली: मेरा नाम अंजली है ।
रोहिणी: अंजली, क्या आप भी यहाँ गणतंत्र दिवस मनाने आई हो ?
अंजली: हाँ !
रोहिणी: क्या आपको गणतंत्र दिवस का अर्थ पता है ?
अंजली: मुझे गणतंत्र दिवस को इंग्लिश में क्या कहते है, यह पता है ।
रोहिणी: ठीक है, बताइए ।
अंजली: गणतंत्र दिवस को English में Republic Day कहते है ।
रोहिणी: बहुत खूब अंजली । क्या आप मुझे बता सकते हो, यह कौन है ?
अंजली: इनका नाम अमिताब बच्चन जी है ।
रोहिणी: और क्या जानती हो इनके बारे में ?
अंजली: यह, कौन बनेगा करोड़ पति में आते है । रोहिणी: और ।
अंजली: अमिताब बच्चन जी actor है, इनके बेटे का नाम अभिषेक बच्चन है, वह भी actor है । इनकी बहू भी actress है, उनका नाम ऐश्वर्या राय है । इनकी पोती का एक video इंटरनेट पर आया था, वह भी बहुत बढ़िया acting करती है ।
रोहिणी: वाह ! अंजली, आप तो बहुत कुछ जानती हो इनके बारे में । क्या आप इन्हे भी जानती हो ?
अंजली: अम्म....अम्म.... इनका नाम अहिल्या बाई है ।
रोहिणी: नहीं । कोई बात नहीं, बैठिए अंजली ।
रोहिणी: क्या आप खड़ी रहोगी ? आप का नाम क्या है ?
कीर्ति: मेरा नाम कीर्ति है ।
रोहिणी: कीर्ति, क्या आप इन्हे जानती हो ?
कीर्ति: शायद, सावित्रीबाई फूले ।
रोहिणी: शायद !
कीर्ति: हाँ ! सावित्री बाई फूले ही है ।
रोहिणी: हाँ ! यह सावित्रीबाई फूले जी ही है । इने हम क्यों याद करते है, आपको पता है ?
कीर्ति: अम्म....अम्म... नहीं ।
रोहिणी: ठीक है, कोई बात नहीं, बैठिए । आपने हाथ ऊपर किया था, आपको बताना है ?
नीमा: इन्होने लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोला था ।
रोहिणी: बहुत खूब, आपका नाम क्या है ?
नीमा: नीमा ।
रोहिणी: नीमा, आप इनके बारे में और कुछ जानती हो ?
नीमा: Sorry....मुझे इतना ही पता था ।
रोहिणी: कोई बात नहीं नीमा, बैठिए ।
रोहिणी: आप खड़ी रहोगी ? क्या आप मुझे बता सकती हो, यह कौन है ?
राधा: इनका नाम आंबेडकर जी है, हम इन्हे संविधान निर्माता के रूप में भी जानते है ।
रोहिणी: बहुत बढ़िया उत्तर है । आप और कुछ जानती हो इनके बारे में ?
राधा: इनके बहुत सारे पुतले मैंने देखे है ।
रोहिणी: और कुछ ?
राधा: बस, इतना ही ।
रोहिणी: कोई बात नहीं, राधा । क्या आप इने जानती हो ?
राधा: हाँ ! यह BB Ki Vine है ।
रोहिणी: bb ki vine इनका नाम है ?
राधा: नहीं, bb ki vine इनके youtub channel का नाम है ।
रोहिणी: तो इनका नाम क्या है ?
राधा: इनका नाम भुवन बाम है ।
रोहिणी: और कुछ बता पाओगे इनके बारे में ?
राधा: यह भारत के नंबर वन YouTuber है, इने २ करोड़ लोग follow भी करते है । मेरे दोस्त बता रहे थे कि ये १५ करोड़ का बंगला बना रहे है, दिल्ली में ।
रोहिणी: बहुत खूब ! धन्यवाद राधा, बैठ जाइए ।
मैं भी एक लड़की हूँ और मैंने जान बुचकर सारे के सारे सवाल लड़कियों से ही पूछे; इसका कारण क्या है पता है ? क्योंकि यह सारे सवाल लड़कियों से ही पूछना जरूरी था । दो दिनों पहले, अर्थात २४ जनवरी को हमने ' बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ ' का नारा दिया था और आज के समय में भी यह पुराना नारा देने की जरूरत पढ़ रही है । क्यों ...? क्योंकि हमारी बेटियों को दुनियाँ भर का ज्ञान है परंतु जिनके कार्यों के प्रति हमें शुक्रिया अदा होना चाहिए, उनके कार्यों की हमें भनक तक नहीं ।
आज जो हम लड़कियाँ यहाँ आकर, लड़कों के कंधे से कंधा मिलाकर बैठी है; इसके पीछे बहुत बड़ा संघर्ष छुपा है ।
एक समय था, जब हम लड़कियों का पढ़ना मतलब धर्म के विरुद्ध कार्य समझा जाता था । औरतों का काम सिर्फ चूला फूँकना और बच्चे पैदा करने तक ही सीमित था । लड़कियों को बचपन में अपने पिता के Control में रखा जाता था, युवा अवस्था में अपने पति के और बुढ़ापे में अपने बच्चों के Control में रखा जाता था । अर्थात ऐसे माना जाता था कि औरतों को कभी भी आजादी नहीं देनी चाहिए । हम लड़कियाँ गुलामों के भी गुलाम थे ।
एक दोहे के अनुसार - ढोल, गंवार, पशु, शूद्र, नारी फिर से एक बार- ढोल, गंवार, पशु, शूद्र, नारी सभी ताड़न के अधिकारी । मतलब किसी चीज को, जानवरों को या नारियों को लेते समय, पूरी तरह से जाँचना चाहिए । अर्थात् एक समय ऐसा था जब नारियों की स्थिति जानवरों की तरह ही थी । अपने भारत में ही कुछ औरतों को पूरे कपड़े पहनने का अधिकार तक नहीं दिया गया था ।
पहले के तुलना में आज का समय हम लड़कियों के लिए वरदान है । क्यों ? क्योंकि आज का भारत संविधान पर चलता है । आज का समय संविधान का समय है । पहले ऐसे माना जाता था कि जब लड़की अपने घर से विदा होती है तब वह अर्थी पर ही अपने घर लौट सकती है । अर्थात पति चाहे कितना भी छले औरत का उससे कोई छुटकारा नहीं था । पति द्वारा छोड़ी गई औरत को उसके माता - पिता तक नहीं अपनाते थे । पति चाहे तो तलाक दे सकता था, मन चाहे उतनी शादियाँ कर सकता था परंतु औरतों को अपने भाग्य को कोसने के अलावा और कोई चारा नहीं था । इसे लिंग भेद कहते है । संविधान ने ही इस तरह का लिंग भेद खत्म किया है । आज आप पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर बैठ सकती हो, अपने हक्क और अधिकार के लिए आवाज उठा सकती हो, अपनी बातों को पूर्ण आजादी से व्यक्त कर सकती हो; क्योंकि संविधान तुम्हें यह सब करने की ताकद प्रदान करता है । कल की अपवित्र, संविधान के कारण ही आज पवित्र बनी है । कल जिसे सिर्फ चुला फूकने के लायक ही समझा जाता था, संविधान के कारण ही आज वह द्रोपदी मुर्मु जी के रूप में देश की सर्वोच्च नागरिक, देश की राष्ट्रपति बन बैठी है ।
आज २६ जनवरी है, अर्थात संविधान को लागू करने का दिवस । जिस संविधान ने हमें इतना कुछ दिया उस संविधान को बनाने वाले व्यक्ति के बारे में, हमें न के बराबर जानकारी रहना, जिस महिला ने लोगों की गालियाँ खाई, लोगों द्वारा फेंका गया कीचड़, गोबर और तो और लोगों द्वारा फेंके गए पत्थरों की मार भी सही, किस कारण ? हम लड़कियों को पढ़ाने के कारण और हमारे पास इनके कार्यों की जानकारी न होना; इससे बड़ा दुर्भाग्य हम लड़कियों का नहीं है ।
पहले राजतंत्र चलता था, आज गणतंत्र है । गण का अर्थ है, जनता या लोग । गणतंत्र अर्थात लोगों द्वारा, लोगों के लिए बनाया गया तंत्र । मतलब, पहले राजा का बेटा राजा बनाता था, प्रतिभावान लोगों के अंगूठे काटे जाते थे परंतु २ वर्ष, ११ महीने और १८ दिनों की मेहनत से डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर जी द्वारा बनाए गए संविधान के कारण अब राजा, माँ के पेट से ही पैदा होकर नहीं आता ।
आप सभी का यह सवाल हो सकता है कि मैंने सारे के सारे सवाल लड़कियों से ही पूछे, लड़कों से एक भी सवाल नहीं पूछा । आपके इस प्रश्न का उत्तर मैंने अपने भाषण में ही दे दिया है ।
अपने भाषण के अंत में, आप सभी से, मैं यह कहना चाहूंगी कि संविधान सिर्फ एक किताब नहीं है । संविधान एक Weapon है । यह ऐसा Weapon है जिसका उपयोग करना प्रत्येक भारतीयों को आना ही चाहिए । आपके हक्क और अधिकार को कोई छीने, तो किसी और के सामने रोते - गिड़गिड़ाते बैठने से बेहतर है कि संविधान का एक पन्ना रोज पढ़ें । अगर लोग अनपढ़ हैं, तो सात लोगों को अपने सामने बिठाकर संविधान उन्हें पढ़कर सुनाए ।
मैं उम्मीद करूंगी कि अगले गणतंत्र दिवस तक पढ़े लिखे लोग संविधान के प्रति स्वयं भी जागृत होकर दूसरों को भी जागृत करेंगे ।
जय भारत ! जय संविधान !
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