Granthalay Swapan Paheli Kaanch | Kahani Lekhan | ग्रंथालय स्वप्न पहेली काँच । कहानी लेखन

१. हे मातृभूमि ! का स्वाध्याय में आया प्रश्न शब्दों के आधार पर कहानी लिखो ग्रंथालय, स्वप्न, पहेली, काँच | Granthalay Swapan Paheli Kaanch |  का एक उदाहरण उत्तर यहाँ दिया गया है | दिए गए उत्तर को पढ़ कर आप स्वयं का उत्तर बनाने का प्रयास कर सकते हैं | Maharashtra Board Solutions For Class 8




शब्दों के आधार पर कहानी लिखो - ग्रंथालय स्वप्न पहेली काँच | Shabdon Ke Aadhar Par Kahani Likho Granthalay Swapan Paheli Kaanch | He Mathrubhumi Swadhyay |


उत्तर

असंभव कुछ नहीं ।


दो घनिष्ठ मित्र थे। एक मित्र का नाम विजय था और दूसरे का संजय। दोनों मित्र एक ही विद्यालय में पढ़ते थे। विजय और संजय साथ-साथ विद्यालय जाया और आया करते थे । उनका घर विद्यालय से काफी दूर था। दोनों ही विद्यालय बड़े शौक से जाया करते थे। विज्ञान के सर उन्हें बहुत पसंद करते थे; क्योंकि वह कक्षा में सबसे ज्यादा सक्रिय थे। उनके प्रिय शिक्षक भी विज्ञान सर थे। सर बच्चों को बड़े ही रुचिकर ढंग से पढ़ाते थे; इसलिए सारे बच्चे उन्हें पसंद करते थे। बच्चों को उनकी खेल विधि से पढ़ाना बहुत पसंद था। विज्ञान सर बच्चों को हर सप्ताह गतिविधि के रूप में एक पहेली सुलझाने के लिए देते थे। बच्चे भी बड़े रुचि से उनकी पहेली सुनते और उत्तर खोजने के लिए ग्रंथालय चले जाते। ऐसे ही एक दिन उनके सर ने एक प्रतियोगिता का आयोजन किया। इस प्रतियोगिता में उन्होंने एक पहेली बच्चों को दी और उनसे कहा कि इस पहेली को जो 2 दिन के अंदर सुलझा कर देगा वह इस प्रतियोगिता का विजेता होगा। बच्चे बड़े उत्साह से साथ में ही पूछ बैठे, पूछिए ना सर, बताइए कौन सी पहेली है? बताइए ना सर।

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सर ने कहा तो सुनो विद्यार्थियों पहेली "एक बुढ़िया के 12 बेटे, पूरा कुनबा बढ़िया, पर घर कांच का बताओ क्या...?"


पहेली सुनते ही बच्चों ने सर से आज्ञा ली और ग्रंथालय की तरफ चल पड़े । वहाँ जाकर पुस्तकों में इसका उत्तर ढूंढने लगे, परंतु किसी भी पुस्तक में इस पहेली का उत्तर ना मिला। घर जाने का समय हो चुका था। सभी विद्यार्थी अपना बस्ता पहन कर घर की तरफ रवाना हो गए। उसी तरह विजय और संजय भी घर की तरफ चल पड़े। संजय और विजय रास्ते भर उसी पहेली को बार-बार दोहरा रहे थे। एक बुढ़िया के 12 बेटे, पूरा कुनबा बढ़िया, पर घर कांच का बताओ क्या??


दोनों मित्र इस पहेली को सुलझाने का प्रयास करते रहे। अचानक संजय बोलता है, "एक बुढ़िया के 1२ बेटे" तो विजय बोल उठता है, "पूरा कुनबा बढ़िया पर घर का कांच का।" तभी संजय पूछ उठता है, "कुनबा का मतलब क्या होता है ?" विजय कहता है, "परिवार या बाल बच्चे।" संजय कहता है, "यार एक बुढ़िया और 12 बच्चे और घर कांच का सब अच्छे से रहते हैं, यार यह तो मुझे असंभव लगता है या तो बहुत कठिन है; जो हमारे बस की बात नहीं है।" लेकिन विजय कहता है कि "इतनी जल्दी हार मत मानो मेरे दोस्त। हम जरूर इसका उत्तर ढूंढ निकालेंगे।" दोनों बात करते-करते घर पहुंच जाते हैं। संजय ने तो हार मान ली थी; लेकिन विजय हार मानने वालों में से नहीं था। उसने घर जाकर भी बहुत प्रयत्न किए इस पहेली को सुलझाने के लिए। सुलझाते-सुलझाते उसे नींद आ गई। नींद में भी वह स्वप्न में इसी पहेली को सुलझा रहा था। अचानक से उसकी आंख खुलती है और उसकी नजर घड़ी पर पड़ती है। घड़ी पर पढ़ते ही उसकी नजर घड़ी पर ही रह जाती है। एक घड़ी, उसमें 12 संख्या और वह काँच से बनी हुई है। घड़ी देखकर वह समझ जाता है कि इस पहेली का उत्तर घड़ी ही है। आखिर में विजय ने इस पहेली का उत्तर ढूंढ ही निकाला। इस पहेली का उत्तर बताने वाला पहला सही विद्यार्थी विजय होता है; इसलिए इस प्रतियोगिता का विजेता भी विजय ही होता है। विज्ञान के सर विजय को उपहार देकर शुभ आशीष देते हैं।


सीख: कोशिश करने वालों की हार नहीं होती ।

पढ़ने हेतु:


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